प्राचीन काल में मुखिया,निकास स्थल,घटना,कुल देवी धराडी और मुखिया की #उपाधि मिलने से भी गोत्र बनते रहे है | यहाँ हम प्राचीन बैफलावत मुखिया को मिली खाटा(#वीरतापूर्ण युद्द जससे दुश्मन #अचम्भित रह जाए ) उपाधि ने अब एक गोत्र का रूप (#डाबला,नीम का थाना सीकर) धारण कर लिया है पर चर्चा करेंगे | #जयराम जी (चुराणी) जी ने अवगत कराया कि बैफलावत गोत्र की एक शाखा #पापडदा (दौसा) से नयाबास, वहां से #खानवास और #गुढ़ा (थानागाजी, अलवर) जा बसी | #खानवास के तेजा बैफलावत आज भी #दन्तकथा और लोक गीतों में जीवित है जिसे #भोमिया के रूप में पूजा जाता है | जिनका #स्मारक गाँव-खानवास में बना हुआ है -#कवि ने उनके लिए क्या खूब कहा है - #काकड़ बाज्या घुघरा,फलसे बाज्या #ढोल | #ओठो बावड रे #खाटू का #तेजा , थारो #अमर रह ज्यागो #कुल में बोल || यह खाटा उपाधि कितनी पुरानी है मित्रो से #चर्चा में जान पायेंगे | गुढ़ा में कुछ समय रहने के बाद मिनाओ के प्राचीन गाँव #इन्दोक आ बसे | प्राचीन इन्दोक #पहाड़ी पर था अब निचे आ बसे | यहाँ बैफलावत मुखिया की #मुस्लिम आक्रमणकारी से कड़ी #टक्कर हुई |झुन्था जी के वंस में यहाँ के #लाल जी बैफल...
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