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#मैनावत/मंणावत/मैणावत/मेहनावत मीणा माइक्रो हिस्ट्री

------------------------------------------------------------------- मीणा आदिवासी समुदाय में #मैनावत/मैणावत गोत्र का निकास गाँव #सोरयो(मक्क्नपुर) तह०करोली जिला करोली है को माना जाता है यहाँ से जाकर #कसारा, #सुनीपुर और #कांकरेट बसा #सुनिपुर से जाकर #मध्यप्रदेश में #सुनबई गाँव बसा जहाँ के श्री #रामनिवास रावत #मंत्री और प्रसिद्द नेता और समाज सेवक हुए जो #पांच बार विधानसभाक्षेत्र #विजयपुर से विधायक बन चुके | कसारा गाँव में #सातल और #पातल नाम के दो मीणा मुखिया हुए जिनके पास 800 घुडसवार थे ओर उसके साथ एक #डुंडिया मीणा(यह गोत्र करोली से ही निकला है ) सरदार भी था जिसके पास 900 घुडसवार थे यह तीनों मीणा #मुखिया मिलकर के #चंबल नदी के किनारे कोटा जिला और बुंन्दी जिला की सीमा के पास अपना #वर्चस्व रखते थे।ये #करोली क्षेत्र से ही आये थे | हाड़ोती में #कोटड़ा बसाया | जागा और बाहरोट के कथनानुसार उनको #डकेत बताया गया है लेकिन साथ में ही वह सरदार उस समय के #राजा जो हाड़ोती के राजा थे उनसे उल्टा #कर(#बोराई कर) वसूल किया करते थे बदलें में वह राज्य की सीमा #रक्षा करते थे।यह सैकड़ों वर्षों पहले की बात है,उसी ...

#जारवाल/जाडवाल गोत्र मीणा #माइक्रो हिस्ट्री

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प्राचीन काल में वर्तमान करोली जिले की #नादोती तहसील क्षेत्र (प्राचीन गढ़ मोरा क्षेत्र) में आदिवासी मीणा #मुखियाओ का दबदबा और प्राचीन काल से #कबीलाई शासन रहा है |#रामकेश मीणा और #रूपसिंह जागा के अनुसार संवत् 1000(943ई०) में #तोड्या मीणा मुखिया का शासन था उसकी राजधानी आम का झार्रा थी शूरवीर पराक्रमी और स्वाभिमानी तोड्या की तत्कालीन #शासक से ठन गई | तीन #लाग लगाई जिसे तोड्या ने नहीं माना | नाराज हो संवत् 1009 (949ई०) को #अमावस्या और दिवाली(फसल पकने के त्यौहार के दिन) के दिन पूर्वजो को तर्पण करते मीणा मुखिया पर आक्रमण कर दिया |तोड्या सहित उनके 9 बेटे #बलिदान हो गए |दो बेटे #आजल और #बिजल वर्तमान हाड़ोती में #उषारा मिनाओ की शरण में चले गए |वहां उनके कई गाँव है और ढिगारिया जारवाल कहलाते है | तोड्या के पांचवे पुत्र #वीरसिंह ने अदभुत #वीरता दिखाई | उनकी स्मृति में #कोड़ाघर(गाँव-झूठाहेड़ा तह०बसवा दौसा) बना हुआ है | इसे पूजते है और #कुलदेव माना जाता है | वीर सिंह की पत्नी #प्यारी #गर्भवती थी जो #अमावारा-भांवरा(बामनवास)के #बारवाल मुखिया की पुत्री थी | प्यारी और देवर जाजन सिंह जीवत बचे | फिर भी हमल...

बैफलावत उप गोत्र #खाटा की मीणा माइक्रो हिस्ट्री

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प्राचीन काल में मुखिया,निकास स्थल,घटना,कुल देवी धराडी और मुखिया की #उपाधि मिलने से भी गोत्र बनते रहे है | यहाँ हम प्राचीन बैफलावत मुखिया को मिली खाटा(#वीरतापूर्ण युद्द जससे दुश्मन #अचम्भित रह जाए ) उपाधि ने अब एक गोत्र का रूप (#डाबला,नीम का थाना सीकर) धारण कर लिया है पर चर्चा करेंगे | #जयराम जी (चुराणी) जी ने अवगत कराया कि बैफलावत गोत्र की एक शाखा #पापडदा (दौसा) से नयाबास, वहां से #खानवास और #गुढ़ा (थानागाजी, अलवर) जा बसी | #खानवास के तेजा बैफलावत आज भी #दन्तकथा और लोक गीतों में जीवित है जिसे #भोमिया के रूप में पूजा जाता है | जिनका #स्मारक गाँव-खानवास में बना हुआ है -#कवि ने उनके लिए क्या खूब कहा है - #काकड़ बाज्या घुघरा,फलसे बाज्या #ढोल | #ओठो बावड रे #खाटू का #तेजा , थारो #अमर रह ज्यागो #कुल में बोल || यह खाटा उपाधि कितनी पुरानी है मित्रो से #चर्चा में जान पायेंगे | गुढ़ा में कुछ समय रहने के बाद मिनाओ के प्राचीन गाँव #इन्दोक आ बसे | प्राचीन इन्दोक #पहाड़ी पर था अब निचे आ बसे | यहाँ बैफलावत मुखिया की #मुस्लिम आक्रमणकारी से कड़ी #टक्कर हुई |झुन्था जी के वंस में यहाँ के #लाल जी बैफल...